April 08, 2014

मैने पूछा

उस चाँद को देखा उदास बैठे हुए 
और तभी बादल घुमड़ आये और आसमान रोने लगा 
मैने पूछा - क्यूं इतना बेचैन हो रहा हैं तू इस तरह 
इस तरह रोने से दिल हल्का होता हैं क्या ?

जब कोई जवाब नहीं आया और आंधियाँ तेज़ होने लगी 
हवा से मेल खाकर अब तो शाखाए भी रोने लगी 
मैने पूछा - वृक्षो को पतझड की तरह अश्रु बहाते देख 
इन मोतियो को खोने से मॅन बेहलता हैं क्या ?

जब पलटा दूसरी ओर तो स्थिर समुद्र मे भी उबाल था 
रेत का ढेर नाजायज़ की तरह परोसने लगी 
मैने पूछा - उस लहर से जो संग ढोकर लाई उस बोझ को तटपर
इन यादों को खुद से अलग करने से तनाव घटता हैं क्या ?

जब नहीं मिला कोई भी जवाब इन सभी से
खुद को ही टटोला और सोचा पूछताछ कर लू खुद ही से  
मैने पूछा - खुद के अंतर्मांन, दिल और दिमाग से
इस पल को पाकर तेरी ज़िंदगी मे कोई ठेहराव हैं क्या ?

-- अर्ष