September 21, 2012

रोबोवितिक्स (roboVITics) का जन्म ......

एक दिन जागा और सोचा कुछ किया जाए
क्यूँ न कुछ नया कर के अपनी किस्मत आजमाए
जो निकला घर से ढूँढने अपनी मंजिल
सोचा चलो एक तकनिकी आशियां बनाए

घूमता फिरता एक विचार मन्न में आया
आखिर क्या हैं वो चीज़ जिसने हैं लोगो को लुभाया
हर कोई चाहता था उस तकनिकी विद्या को सीखना
पर सभी के रास्तो पर पड़ा था एक घना साया

मैंने सोचा मैं किस तरह करू मदद उनकी
और इस सोच पर अमल करने के लिए पहला कदम बढाया
मैं था तो अकेला और पता ही नहीं चला, की कैसे हुआ सब कुछ
क्यूंकि अगले ही पल में मैंने वि०आई०टी० के सबसे होनहार लोगो को साथ पाया

मनुष्य की तरह दीखते थे वो सभी यन्त्र
अचंभित होकर उस दुनिया की ओर हमने कदम बढाया
राह में कांटे तो थे पर हम सब साथ चलते रहे
कूटा हर बाधा को और हम रोशिनी की ओर बढ़ते रहे

आज इस मुकाम पर पहुच चुका हैं हमारा वो सफ़र
कि पीछे देख नज़र नहीं आता वो शुरुआती डगर
ये सबूत हैं हमारी मेहनत और सफलताओ का
जो तुम सबके बिना नहीं हो पाती मगर

प्रार्थना हैं इश्वर से वो अपना साया हम पर बनाए रखे
इसी तरह सब मिलकर नयी नयी मंजिले तय करे
वहा से निकलकर भी इस परिवार से सब जुड़े रहना
वर्ना आने वाले बच्चो को पड़ेगा सब कुछ फिर से सहना

इसी उम्मीद से कि सबका साथ बरक़रार रहे हमेशा
तुषार के कहने पर सबसे छोटे बच्चो कि मेहनत को मेरा सलाम
ज़िन्दगी में खूब नाम कमाओ पर इस पड़ाव को मत भूल जाना
जहा से मेरी ज़िन्दगी तो आगे निकल गयी पर अब भी इंतज़ार हैं मेरा आना.....!!!!


----- अर्ष


June 20, 2012

नींद (शायरी )

तडपाती , तरसाती  ज़िन्दगी , यहाँ  सिर्फ  और  सिर्फ  हैं  खोना .......
जब  थक  जाओ  रोते  चिल्लाते , आँख  बंद  कर  चैन  से  सोना ......
क्या  पता  फिर  कब  मिलेगी  ये  नींद , अपना  तो  किस्मत  भी  हैं  बौना ....
जब  परेशान  हो  जाओ  ज़िन्दगी  से  ....... उठना  मत  ऐसे  सोना .......!!!!

घुटन (शायरी )

ज़िन्दगी  मेरी  अब  हर  पल  खुद  ही  जिए  जा  रही  हैं .....
मेरी  क्या  हुकूमत  उसपे  दुनिए भी  मज़े  लिए  जा  रही  हैं .....
ना  मौत  आ  रही  हैं , ना  जान  जा  रही  हैं .....
कमबख्त  ज़ंजीरो  से  मुझे  सीए  जा  रही  हैं ......

May 27, 2012

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गर्दिश में तारे मेंरे  भले हो मगर
साथ न छोड़ देना तुम कभी मुह मोड़कर
वादा हैं जन्नत की सैर कराऊंगा
ख़ुशी और प्यार से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा

चाँद के पार ना सही समुन्दर की लहरें दिखाऊंगा
सपनो का महल न बन सका तो रेत पर किला बनाऊंगा
तू अगर साथ रही हर दम, हर वक़्त, हर मोड़ पर
तो इन्शालाह एक दिन तारे भी तोड़ लाऊंगा

गर आज दे न सकू तुझे चंद फूल वो गुलाब के
ये न सोच लेना की तुझे भूल मैं भाग जाऊंगा
तिनके तिनके से जिस तरह बनता हैं एक घरोंदा
एक एक ईट उस तरह अपना घर सजाऊंगा

गर रूठ जाये भी कभी तू तो तेरे तकिये के किनारे
अपना सर रख कर मैं शायद अश्रु भी बहाऊंगा
पर कर यकीन मुझपर और याद रखना सदा
ख़ुशी और प्यार  से तेरा हर लम्हा सजाऊंगा....

May 24, 2012

असमंजस

दिल को बोला संभल जा ज़रा
दिल न माना फिर मेरी बात
एक बार फिर भरोसा कर के
पहुंचा ह्रदय पे गहरा आघात

ये क्या हैं विडंबना, क्या हैं बात
क्यों बहक गए हैं आज फिर से जज़्बात
याद नहीं क्या उनको वो दिन
जब खाया था एक विश्वासघात

सुना हैं बाखूब किसी शायर से
दिल संभल जा ज़रा फिर बहक रहा है तू
मैं कहता लौट कर वापिस मत आना मेरे पास
मैं खुद नहीं सोच पाउँगा की मैं क्या बोलू

खुदा के बन्दे पर नीमत हैं उसकी
बच निकले थे जैसे तुम पिछली बार
आखिरी बार कह रहा हू संभल जा
टूट न जाए कही दिल के वो तार,
और बिखर जाये ज़िन्दगी की झंकार......!!!