वैसे तो कुछ ख़ास नहीं लिख पता हूँ , पर सोचा की अगर लिखने की आदत डाल ली जाये तो शायद कुछ सुधार हो सकता हैं |
बस इसी मकसद से अपने दिल में उजागर होने वाले कुछ खयालो को पन्ने पर उतरने की एक कोशिश कर लेता हूँ | कविताएं मुझे बेहद पसंद हैं और अब एक कोशिश आपके सब पाठको के सामने.......
बरस रहे थे मेघ हज़ार,
गरज रहा था आसमान
एक बार फिर इस निष्ठुर दुनिये में,
हो गया एक सच्चा कुर्बान
छोड़ गया एक आईना उसने
जिसमे दिख रहे कुछ गलत इंसान
अब हम सब को करना हैं फैसला
ताकि व्यर्थ न जाए नेक दिल का बलिदान ||