इन आँखों में अश्रु अब पल पल आ जाते हैं
जब मुझे मेरे वि०आई०टी के दिन याद आते हैं
दोस्तों की आवाज़ कानो में गूंजती हैं सदा
रोते रोते हम एक बार फिर जी जाते हैं
दिल के दीवारों पर वोही तस्वीरे नज़र आती हैं
जिसमे रहते मेरे यार, मेरे प्रिय सहपाठी हैं
अब जब भी वो बीतें लम्हे याद आते हैं
रोते रोते हम एक बार फिर जी जाते हैं
यादों के सहारे ही अब ज़िन्दगी आगे बढ़ाते हैं
पुरानी बातें याद कर के, आए दिन मुस्कुराते हैं
ऐसी यादें छोर चुके हो तुम सब इस दिल में
रोते रोते हम एक बार फिर जी जाते हैं
ये कविता नहीं दिल की बात कही हैं तुम सबसे
अब तुम सब की बहुत याद सताती हैं
और जब भी कोई सामने आ जाता हैं यादें लिए
दिल ही दिल में हम एक बार फिर जी जाते हैं
कुमार उत्कर्ष द्वारा सभी दोस्तों को समर्पित ||
धन्यवाद
2 comments:
wah wah!
really after reading this poem vit ki yaad aa gayi..
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