उस चाँद को देखा उदास बैठे हुए
और तभी बादल घुमड़ आये और आसमान रोने लगा
मैने पूछा - क्यूं इतना बेचैन हो रहा हैं तू इस तरह
इस तरह रोने से दिल हल्का होता हैं क्या ?
जब कोई जवाब नहीं आया और आंधियाँ तेज़ होने लगी
हवा से मेल खाकर अब तो शाखाए भी रोने लगी
मैने पूछा - वृक्षो को पतझड की तरह अश्रु बहाते देख
इन मोतियो को खोने से मॅन बेहलता हैं क्या ?
जब पलटा दूसरी ओर तो स्थिर समुद्र मे भी उबाल था
रेत का ढेर नाजायज़ की तरह परोसने लगी
मैने पूछा - उस लहर से जो संग ढोकर लाई उस बोझ को तटपर
इन यादों को खुद से अलग करने से तनाव घटता हैं क्या ?
जब नहीं मिला कोई भी जवाब इन सभी से
खुद को ही टटोला और सोचा पूछताछ कर लू खुद ही से
मैने पूछा - खुद के अंतर्मांन, दिल और दिमाग से
इस पल को पाकर तेरी ज़िंदगी मे कोई ठेहराव हैं क्या ?
-- अर्ष
और तभी बादल घुमड़ आये और आसमान रोने लगा
मैने पूछा - क्यूं इतना बेचैन हो रहा हैं तू इस तरह
इस तरह रोने से दिल हल्का होता हैं क्या ?
जब कोई जवाब नहीं आया और आंधियाँ तेज़ होने लगी
हवा से मेल खाकर अब तो शाखाए भी रोने लगी
मैने पूछा - वृक्षो को पतझड की तरह अश्रु बहाते देख
इन मोतियो को खोने से मॅन बेहलता हैं क्या ?
जब पलटा दूसरी ओर तो स्थिर समुद्र मे भी उबाल था
रेत का ढेर नाजायज़ की तरह परोसने लगी
मैने पूछा - उस लहर से जो संग ढोकर लाई उस बोझ को तटपर
इन यादों को खुद से अलग करने से तनाव घटता हैं क्या ?
जब नहीं मिला कोई भी जवाब इन सभी से
खुद को ही टटोला और सोचा पूछताछ कर लू खुद ही से
मैने पूछा - खुद के अंतर्मांन, दिल और दिमाग से
इस पल को पाकर तेरी ज़िंदगी मे कोई ठेहराव हैं क्या ?
-- अर्ष
2 comments:
Awesome personification :) :D
"इस पल को पाकर तेरी ज़िंदगी मे कोई ठेहराव हैं क्या ?"
bahut behatareen yar!
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